The smart Trick of naat sharif madina That Nobody is Discussing

naat sharif photo

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Ye Sab Tumhara Karam Hai Aaqa” by Khursheed Ahmad is considered one of the best naats for quite a few reasons. Khursheed Ahmad’s emotional rendition leaves a long-lasting impact, evoking devotion and admiration. Like a proficient naat khawan, his inventive expression shines by way of, generating the naat culturally major and cherished around the globe.

On this day, the believers greet his birthday to indicate their appreciate and devotion on the Prophet (PBUH). This festival is focused on remembering and regarding the teachings on the Holy Prophet.

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Quite a few Muslim artists have not written for Holy Prophet but Have a very really like for Him inside their hearts. They were motivated by Islamic traditions that any indication of regard will deliver the reward of God for the appreciator.

कव्वाली से तो हर कोई वाकिफ है, जहां तक नात की बात है तो यह एक विशेष तरह की धार्मिक कविता शैली में बेहद खूबसूरत गीत होता है. वस्तुतः नात पैगंबर मुहम्मद की जिंदगी, उनके गुण, उनके उपदेश व उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने का विशेष अंदाज होता है. नात की परंपरा को निम्न बिंदुओं से समझा व देखा जा सकता है.

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November two, 2024 by atif khan Naats maintain a Specific location during the hearts of a lot of Muslims worldwide. These devotional tracks are expressions of affection and reverence for the Prophet Muhammad (PBUH), and they're generally recited to encourage spirituality and reflection.

All visitors arriving from the state with a legitimate visa should provide proof of a complete study course of 1 the 4 vaccines (vaccine certificates for COVID 19).

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फुकुशिमा प्लांट से रोबोट ने निकाला रेडियोएक्टिव मलबा
ان نعتیں اردو زبان کے لئے ایک خوش اسلوب و ہموار ادائیگی کے ساتھ لکھی گئی ہیں۔

ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! हर फ़िक्र से तुम हो कर आज़ाद चले जाओ ले कर के लबों पर तुम फ़रियाद चले जाओ मिलना है अगर तुम को वलियों के शहंशा से ख़्वाजा से इजाज़त लो, बग़दाद चले जाओ अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! ग़ौर कीजे कि निगाह-ए-ग़ौस का क्या हाल है है क़ुतुब कोई, वली कोई, कोई अब्दाल है दूर है जो ग़ौस से, बद-बख़्त है, बद-हाल है जो दीवाना ग़ौस का है सब में बे-मिसाल है दीन में ख़ुश-हाल है, दुनिया में माला-माल है अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म द

नबी के शातिम पे जैसे तुझ को जलाल आया, कमाल आया !

तेरे हाथ में हाथ मैं ने दिया है तेरे हाथ है लाज, या ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! निकाला है पहले तो डूबे हुओं को और अब डूबतों को बचा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! भँवर में फँसा है सफ़ीना हमारा बचा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! बचा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन द

मगर जो आख़िर में आमिना का वो लाल आया, कमाल आया !

سعودی عرب میں قید ہزاروں پاکستانیوں کے پاسپورٹ بلاک کر دیئے گئے

शम्स ओ कमर और तारें, क्यों ना हो खुश आज सारे।

बचाना नार-ए-दोज़ख़ से ख़ुदा-रा, या रसूलल्लाह !

मेरे ग़ौस की ठोकर ने मुर्दों को जिलाया है

हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन की तस्वीर सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन का जल्वा तो सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है फूल खिलते हैं पढ़ पढ़ के सल्ले-'अला झूम कर कह रही है ये बाद-ए-सबा ऐसी ख़ुश्बू चमन के गुलों में कहाँ ! जो नबी के पसीने में मौजूद है हम ने माना कि जन्नत बहुत है हसीं छोड़ कर हम मदीना न जाएँ कहीं यूँ तो जन्नत में सब है मदीना नहीं और जन्नत मदीने में मौजूद है छोड़ना तेरा तयबा गवारा नहीं सारी दुनिया में ऐसा नज़ारा नहीं ऐसा मंज़र ज़माने में देखा नहीं जैसा मंज़र मदीने में मौजूद है ना'त-ख़्वाँ: महमूद जे.

नूर-ए-मुहम्मद सल्लल्लाह, ला-इलाहा-इल्लल्लाह

 "Daaman di hawa dena" ka matlab hai ki shayar apne Nabi (صلى الله عليه وسلم) se madad aur rehnumai ki darkhwast kar raha hai.

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है बस मेरा मुद्द'आ मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है उठ के जाऊँ कहाँ मदीने से क्या कोई दूसरा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है उस की आँखों का नूर तो देखो जिस का देखा हुवा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दिल में अब कोई आरज़ू ही नहीं या मुहम्मद है या मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दुनिया वाले तो दर्द देते हैं ज़ख़्मी दिल की दवा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दुनिया वाले तो दर्द देते हैं दर्द-ए-दिल की दवा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है मेरे आक़ा !

कृपया मेरी कश्ती को दूसरी तरफ़ पहुंचाएं

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